आनंद उवाच.....
क्या क्या सपनें दिखाके, कहाँ लायी है ज़िंदगी
अपने आपमें सिमटके, ये कहाँ आयी है ज़िंदगी
ख्वाबोकी दुनिया में, रह दिया होता हमें
जीने राहमें अकेले यूँ रास्तेपे लायी है ज़िंदगी
हम तो बस चाँदनी देखना चाहते थे उम्रभर
पत्थरोंकी आगोश में सुला गयी है ज़िंदगी
तुझे , बस तुझे ही अपनाने की चाह में
तुमसेही कितनी दूर ले आयी है ज़िंदगी
क्या क्या सपनें दिखाके, कहाँ लायी है ज़िंदगी
अपने आपमें सिमटके, ये कहाँ आयी है ज़िंदगी
ख्वाबोकी दुनिया में, रह दिया होता हमें
जीने राहमें अकेले यूँ रास्तेपे लायी है ज़िंदगी
हम तो बस चाँदनी देखना चाहते थे उम्रभर
पत्थरोंकी आगोश में सुला गयी है ज़िंदगी
तुझे , बस तुझे ही अपनाने की चाह में
तुमसेही कितनी दूर ले आयी है ज़िंदगी